सोमवार, 31 मई 2010

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रानी मरते दम तक अपने शूरवीर पति राव मालदेव से रूठी रही राव मालदेव अपने समय के राजपुताना के सर्वाधिक शक्तिशाली शासक थे वे बहुत शूरवीर व धुनी व्यक्ति थे उन्होंने जोधपुर राज्य की सीमाओं का काफी विस्तार किया था उनकी सेना में राव जैता व कुंपा नामक शूरवीर सेनापति थे यदि मालदेव राव विरमदेव व उनके पुत्र वीर शिरोमणि जयमल से बैर न रखते और जयमल द्वारा प्रस्तावित संधि मान लेते जिसमे राव जयमल ने शान्ति के लिए अपने पैत्रिक टिकाई राज्य जोधपुर की अधीनता तक स्वीकार करने की पेशकश की थी जयमल जैसे वीर और जैता कुंपा जैसे सेनापतियों के होते राव मालदेव दिल्ली को फतह करने तक समर्थ हो जाते राव मालदेव के ३१ वर्ष के शासन काल तक पुरे भारत में उनकी टक्कर का कोई राजा नही था लेकिन ये परम शूरवीर राजा अपनी एक रूठी रानी को पुरी जिन्दगी मना नही सके और वो रानी मरते दम तक अपने शूरवीर पति राव मालदेव से रूठी रही राव मालदेव का विवाह बैसाख सुदी ४ वि.स. १५९२ को जैसलमेर के शासक राव लुनकरण की राजकुमारी उमादे के साथ हुआ था उमादे अपनी सुन्दरता व चतुरता के लिए प्रसिद्ध थी राठोड राव मालदेव की बारात शाही लवाजमे के साथ जैसलमेर पहुँची राजकुमारी उमादे राव मालदेव जैसा शूरवीर और महाप्रतापी राजा को पति के रूप में पाकर बहुत प्रसन्नचित थी विवाह संपन्न होने के बाद राव मालदेव अपने सरदारों व सम्बन्धियों के साथ महफ़िल में बैठ गए और रानी उमादे सुहाग की सेज पर उनकी राह देखती-देखती थक गई इस पर रानी ने अपनी खास दासी भारमली जिसे रानी को दहेज़ में दिया गया था को राव जी को बुलाने भेजा दासी भारमली राव मालदेव जी को बुलाने गई, खुबसूरत दासी को नशे में चूर राव जी ने रानी समझ कर अपने पास बिठा लिया काफी वक्त गुजरने के बाद भी भारमली के न आने पर रानी जब राव जी कक्ष में गई और भारमली को उनके आगोस में देख रानी ने वह आरती वाला थाल जो राव जी की आरती के लिए सजा रखा था यह कह कर की अब राव मालदेव मेरे लायक नही रहे उलट दिया प्रात: काल राव मालदेव जी नशा उतरा तब वे बहुत शर्मिंदा हुए और रानी के पास गए लेकिन तब तक वह रानी उमादे रूठ चुकी थी और इस कारण एक शक्तिशाली राजा को बिना दुल्हन के एक दासी को लेकर वापस बारात लानी पड़ी ये रानी आजीवन राव मालदेव से रूठी ही रही और इतिहास में रूठी रानी के नाम से मशहूर हुई इस रानी के लिए किले की तलहटी में एक अलग महल भी बनवाया गया लेकिन वह वहां भी कुछ दिन रह कर वापस लौट गई दो साल पहले जब एक मित्र को जोधपुर का किला दिखाने ले गया था तब गाइड ने किले के ऊपर से ही दूर से उस रूठी रानी का महल दिखाया था लेकिन कैमरा न होने वजह से उस वक्त उस महल का फोटो नही ले पाया कार्तिक सुदी १२ वि.स.१६१९ में जब राव मालदेव जी का निधन हुआ तब यह रानी उनके पीछे उनकी पगड़ी के साथ जलती चिता में प्रवेश कर सती हो गई दासी भारमली के अलावा ज्योतिषी चंडू जी भी इस रानी को दहेज़ में दिए गए थे जिन्होंने अपनी पद्धति से एक पन्चांक बनाया जो चंडू पंचांक के नाम से प्रसिद्ध हुआ वर्तमान में चंडू जी की १९ वी. पीढी के पंडित सुरजाराम जी यह पंचांक निकालते है

राजस्‍थान: हिरणों के लिए ‘खेलिया’ बनाकर पीने के पानी की व्यवस्था

राजस्‍थान: हिरणों के लिए ‘खेलिया’ बनाकर पीने के पानी की व्यवस्था

राजस्‍थान: रेत के टीबों पर घास की दीवार

राजस्‍थान: रेत के टीबों पर घास की दीवार

राजस्‍थान: रेत के टीबों पर घास की दीवार

राजस्‍थान: रेत के टीबों पर घास की दीवार

राजस्‍थान: रेत के टीबों पर घास की दीवार

राजस्‍थान: रेत के टीबों पर घास की दीवार

रविवार, 30 मई 2010

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सीमा पार से आने वाले तिलोर अब थार से मुंह मोड़ने लगे
बाड़मेर: घास के मैदान व आश्रय स्थल नष्ट होने से सीमा पार से थार में पहुंचने वाली तिलोर चिडि़या की संख्या अब कम होने लगी है। कोयम्बटूर स्थित ‘सालिम अली इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्निथोलॉजी एंड नेचुरल हिस्ट्री’ द्वारा भारतीय मरूस्थल पर किए गए शोध के मुताबिक थार में तिलोर की संख्या लगातार कम हो रही है। तिलोर घास के मैदानों में प्रजनन करते हैं।पाकिस्‍तान की सीमा से लगे राजस्‍थान के बाड़मेर-जैसलमेर जिले और जोधपुर जिले के कुछ इलाकों में मवेशियों की संख्या बढ़ने और चारागाह कम होने से सीमा पार से आने वाले तिलोर अब थार से मुंह मोड़ने लगे हैं।बाड़मेरमें भी नहीं दिखते‘भारतीय प्राणी सर्वेक्षण’ के पक्षी विशेषज्ञ डॉ. संजीव कुमार कहते हैं कि पहले जोधपुर के आस-पास के इलाकों तिलोर अक्सर दिखाई दे जाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। कभी-कभार दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में जरूर कुछ तिलोर देखे जाते हैं। कुरजां की संख्या बढ़ी‘अंतरराष्ट्रीय क्रेंस फाउंडेशन’ के शोध के मुताबिक साइबेरिया से दक्षिणी पूर्वी एशिया में आने वाले क्रेन्स अफगानिस्तान ‘फ्लाई वे’ के बाद गायब हो जाते थे। वैज्ञानिकों ने इसकी जांच की, तो पता लगा कि अफगानिस्तान के आकाश के ऊपर से गुजरते इन पक्षियों को मनोरंजन और शिकार के लिए मार गिराया जाता था, लेकिन इसमें अब कमी आई है। पक्षी विशेषज्ञ डॉ. अनिल कुमार छंगानी के अनुसार मारवाड़ के कुछ इलाकों में पानी व भोजन की उपलब्धता में कमी के कारण भी उन इलाकों में आने वाली कुरजां अब जोधपुर जिले के खींचन की और शिफ्ट हो गई। खींचन में कुरजां के लिए भोजन व पानी की पर्याप्त उपलब्धता है। कुल मिलाकर, पूरे राजस्थान में कुरजां की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है।

बाड़मेर: स्‍कूली बच्‍चों की प्‍यास बुझाने की कवायद शुरू

बाड़मेर: स्‍कूली बच्‍चों की प्‍यास बुझाने की कवायद शुरू

शनिवार, 29 मई 2010

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पर्यटन स्थल के रुप में विकसित होगा गोड़ावण आश्रय स्थली सुदासरी
बाड़मेर: पाकिस्‍तान की सीमा से लगे राजस्‍थान के बाड़मेर और जैसलमेर जिले में स्थित राष्‍ट्रीय मरु उद्यान में राज्य पक्षी ‘दी ग्रेट इण्डियन बर्स्टड गोडावण’ की आश्रय स्थली सुदासरी गांव को वन विभाग और पर्यटन विभाग पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करेंगे। इसके लिए दोनों विभागों का साझा प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया गया हैं, जिसके इसी साल मंजुर होने की सम्भावना है। राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण के साथ साथ सुदासरी में हस्त कला को भी बढ़ावा दिया जाएगा।क्षेत्रीय वन अधिकारी (वन्य जीव) मोहन लाल खत्री ने बताया कि राष्‍ट्रीय मरु उद्यान का सुदासरी गांव गोडावण की प्रमुख आश्रय स्थली है, वहीं बरना गांव में भी गोडावणों की उपस्थिति दर्ज की जाती रही है। विभाग ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर गोडावण के संरक्षण के साथ-साथ इन गांवों को पर्यटन से जोड़ने के उदेश्‍य से बीस करोड़ रुपए की योजना का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया गया है, जिसके शीघ्र मंजुर होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि सुदासरी और बरना गांवों में गत साल 24 गोडावणों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस साल सुदासरी में 32 गोडावण देखे गए हैं।खत्री ने बताया कि अगले दो-चार दिनों में राष्‍ट्रीय मरु उद्यान में वन्य जीवों की गणना आरम्भ हो रही है। गणना के बाद गोडावणों की वास्तविक संख्या सामने आएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सुदासरी में दो सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया जाएगा, जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार उपल्बध कराते हुए हस्तकला केन्द्र खोला जाएगा और हस्तकला की वस्‍तुएं तैयार कराई जाएंगी। इसमें कांच कशीदाकारी, आरी तारी, हस्तशिल्‍प से निर्मित जूतियां, आदि तैयार करवा कर बिक्री के लिए रखी जाएंगी। खत्री के अनुसार, बरना में पर्यटन विभाग के साथ मिलकर रिसॉर्ट खोलने की योजना भी इस प्रस्ताव में शामिल है। थार मरुस्‍थल के बाड़मेर-जैसलमेर जिलों के 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले राष्‍ट्रीय मरु उद्यान में लुप्त हो रहे गोडावणों के सरक्षंण के लिए वन विभाग ने गम्भीरता से कवायद शुरु कर दी है। विश्‍व भर में गोडावण की एकमात्र आश्रय स्थली सुदासरी-बरना में तेल दोहन के साथ साथ मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से गोडावणों की संख्या में निरन्तर कमी दर्ज की जाती रही है। विभागीय सुत्रों के अनुसार, गत 15 सालों में मरु उद्यान क्षेत्र में 2005 में सर्वाधिक 110 गोडावणों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, वहीं सबसे कम 1995 में 39 गोडावण थे। अब अकेले सुदासरी गांव में 32 गोडावण हैं। क्षेत्र में मानवीय गतिविधियां बढ जाने से गोडावणों के भोजन का प्रमुख आधार लगभग समाप्त हो जाना उनकी की घटती संख्या का प्रमुख कारण रहा है। विभाग द्वारा गोडावण के आश्रय स्थली के आसपास के 9 गांवों के 389 परिवारों को अन्यत्र बसाने की योजना को अंतिम रुप दिया गया है। मरु उद्यान के आसपास के सम, सुदासरी, फुलियां, म्याजलार, खुहड़ी व सत्तों आदि क्षेत्रों में चार दशक पूर्व तक गोडावणों की संख्या हजारों में थी, जो सिमट कर दो अंकों में रह गई है। गोडावणों की घटती संख्या के चलते विभाग हरकत में आया है।

'मरीचिका' मौत का सबब बन रही है। प्यास
बाडमेर। पचास डिग्री के आसपास तापमान में सिक रहे रेगिस्तान के ज्यादातर तालाब और नाडियां सूख चुके हैं। है। ऎसे में वन्यजीवों की जान पर बन आई है। रेतीले इलाके में बहुतायत में पाए जाने वाले मृगों के लिए 'मरीचिका' मौत का सबब बन रही है। प्यास के मारे वे तडप-तडप कर दम तोड रहे हैं। थार में राज्य पशु चिंकारा आजादी से कुचालें भरता है। बाडमेर ही नहीं, जैसलमेर व जोधपुर जिले के भी कई इलाकों में हरिण का शिकार सामाजिक तौर पर वर्जित होने से इनकी खासी संख्या है। लेकिन इस बार की भीषण गर्मी इनके लिए अभिशाप बन गई। जिले के चवा गांव में ही एक पखवाडे में सौ से ज्यादा हरिण मर गए। अभाणियों का सर क्षेत्र के आसपास तीस से ज्यादा हरिण मरे पडे हैं। डाबली सरा, केरली नाडी सहित अन्य जगहों में ऎसे ही हालात हैं। भुरटिया, शिव, धोरीमन्ना सहित अन्य क्षेत्रों में भी हरिण मरे हैं।चिंकार राज्य पशु होने के साथ 'शेड्यूल वन' का प्राणी है। ऎसे किसी पशु की मृत्यु होने के बावजूद वन विभाग अभी तक बेखबर है। वन विभाग केवल वन्य क्षेत्र में विचरण करने वाले पशुओं के लिए ही पानी की व्यवस्था कर रहा है। इसके लिए वहां बनी खेलियों और हौदियों में पानी डाला जाता है। अन्य क्षेत्र में कोई व्यवस्था नहीं है। गर्मी का कहर इंसानों के साथ-साथ अब बेजुबानों पर होने लगा है। क्षेत्र में गर्मी से करीब तीन सौ चमगादडों की मौत हो गई। कई चमगादडों के शव जमीन पर पडे थे तो कई पेडों पर मृत लटके हुए पाए गए। चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के आधार पर चमगादडों की मौत का कारण तापघात माना। उन्होंने किसी तरह की बीमारी से इनके मरने से इनकार किया है। बाग में चमगादडों के मरने का सिलसिला कई दिनों से चल रहा है।हमें इसकी जानकारी नहीं है। ऎसा हुआ है तो जांच करवाई जाएगी। पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। यह गंभीर मामला है।प्रियरंजन, उप वन संरक्षक

शुक्रवार, 28 मई 2010

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अपनी माटी को तरसते विदेशी शव । पाकिस्तान के दो बंदियों के शव अपने मुल्क की माटी के लिए तरस रहे हैं। जिन्दा रहते इन्होंने जो गुनाह किया था। उसका नतीजा है कि मौत के बाद भी इन्हें कफन-दफन हासिल नहीं हो रहा। ये दोनों गैरकानूनी रूप से हिन्दुस्तान की सरजमीं में घुस आए थे। विचाराधीन कैदी रहते हुए बीमार पड़े व मौत हो गई। लम्बी कानूनी प्रक्रिया के कारण इनके शव यहां सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के शारीरिक संरचना विभाग में "दम" तोड़ रहे हैं। एक शव करीब चार माह से तथा दूसरा सवा माह से रसायनों के सहारे रखा हुआ है। इस सहारे में यदि थोड़ी सी भी चूक हो गई तो मिट्टी की मिट्टी होने में देर नहीं लगेगी। शव चाहे अपने मुल्क के बासिन्दे का हो या परदेशी का आखिर है तो इंसान का ही। फिलहाल शवों को उनके मुल्क भेजने की प्रक्रिया राज्य व केन्द्र के गृह तथा विदेश मंत्रालय के बीच झूल रही है।केन्द्रीय कारागार श्रीगंगानगर के विचाराधीन बंदी पाकिस्तान के बहावलपुर निवासी मोहम्मद बशीर (60) की तबीयत बिगड़ने पर उसे 27 जनवरी 2010 को यहां के पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान 28 जनवरी को उसकी मृत्यु हो गई। इसी तरह केन्द्रीय कारागार श्रीगंगानगर के विचाराधीन बंदी पाकिस्तान के चक 12 निवासी मुखत्यार अली (45) को तबीयत बिगड़ने पर गत पांच अप्रेल को पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां 17 अप्रेल को उसकी मृत्यु हो गई। दोनों शवों के संबंध में पीबीएम अस्पताल प्रशासन ने केन्द्रीय कारागार बीकानेर के अधीक्षक को तीन बार पत्र दे दिए। उसमें बताया गया कि चूंकि इनका पोस्टमार्टम करवाया गया है, इसलिए इन्हें ज्यादा समय तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता।आदेश के इंतजारजेल अधीक्षक एस. के. माथुर ने बताया कि दोनों पाक बंदियों की मृत्यु की सूचना महानिदेशक (जेल) कार्यालय के माध्यम से गृह विभाग को तत्काल ही कर दी गई थी। अब गृह विभाग विदेश मंत्रालय व पाक दूतावास से इस संबंध में सम्पर्क कर रहा है। वहां से कोई आदेश मिलने पर ही शवों के बारे में फैसला हो सकेगा।हर पल नजरएनोटॉमी विभाग में रखे पाक बंदियों के शवों की चिकित्सकों व स्टाफ को हर दिन सार-संभाल करनी पड़ती है। शव को ज्यादा समय तक सुरक्षित रखने के लिए फॉरमलिन नामक रसायन के इंजेक्शन लगाए जाते है। यह शरीर के प्रत्येक अंग पर लगाने पड़ते हैं। इन्हें रसायन व पानी के मिश्रित घोल में रखा जाता है ताकि सड़ांध न मारे।

रविवार, 9 मई 2010

Dekh Mausam Kah raha hai duniya meri jeb mein lata mangeshkar neetu sing...

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राजस्‍थान: वन विभाग में 2 करोड़ का गबन, बिना काम के भुगतान लिया

राजस्‍थान: वन विभाग में 2 करोड़ का गबन, बिना काम के भुगतान लिया

शनिवार, 8 मई 2010

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बाडमेर। शिव थाना क्षेत्र के मुंगेरिया फांटा पर शनिवार को पुलिस ने बछडों से भरे दो ट्रक जब्त कर पांच जनों को गिरफ्तार किया। आरोपियों के खिलाफ क्षमता से अघिक गोवंश ट्रकों में भरने एवं अवैध परिवहन करने का मामला दर्ज किया गया।
शिव थानाघिकारी भंवरदान रतनू ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि जैसलमेर की ओर से बछडों से भरे ट्रक मुंगेरिया गांव की तरफ आ रहे हैं। इस पर मंगेरिया फांटे पर नाकाबंदी की गई।
नाकाबंदी के दौरान दो ट्रक आए, जिनकी तलाशी ली गई। तलाशी के दौरान एक ट्रक में बारह व दूसरे ट्रक में तेरह बछडे मिले। बछडों का परिवहन करने वाले गोपाराम, राजूराम निवासी कुडी, रहीमखां निवासी निम्बासर, भंवरलाल निवासी मालाणियों की ढाणी व अचारखां निवासी निम्बासर के पास बछडों के परिवहन से संबंघित लाइसेंस नहीं मिला। इन्होंने एक पुराना अवघि पार लाइसेंस दिखाया। इस पर इन पांचों को गिरफ्तार कर बछडों से भरे ट्रक जब्त कर गूंगा चौकी लाए गए। यहां पर बछडों का मेडिकल करवाने के बाद पथमेडा गोशाला सांचौर भिजवाया गया। सभी आरोपियों के खिलाफ शिव थाने में मामला दर्ज किया गया।
गूंगा में एकत्रित हुए लोग
बछडों के अवैध परिवहन की सूचना मिलते ही गूंगा में लोग एकत्रित हो गए, लेकिन पुलिस की संतोषजनक कार्यवाही के चलते दस दिन पूर्व हुए चक्काजाम जैसी किसी घटना की पुनरावृति नहीं हुई। शिव के पूर्व विधायक डॉ. जालमसिंह रावलोत ने पुलिस व प्रशासन से अनुरोध किया कि गोवंश की तस्करी में शामिल लोगों को बेनकाब किया जाए।
फर्जी एनओसी देने का आरोपी इंजीनियर गिरफ्तार



बालोतरा। नगरपालिका की फर्जी एनओसी जारी करने के मामले में पुलिस ने एक अभियंता को गिरफ्तार किया है। नक्शे व एस्टीमेट बनाने के लिए नगरपालिका से अधिकृत उक्त आरोपी पर शहर के समदडी रोड निवासी एक व्यक्ति को निर्माण की इजाजत के लिए रूपए लेकर फर्जी एनओसी थमाने का आरोप है। इसको लेकर प्रार्थी अशोकसिंह पुत्र मगसिंह ने आरोपी के खिलाफ धोखाधडी का मामला दर्ज कराया है वही नगरपालिका बालोतरा ने भी फर्जीवाडा करने की रपट दर्ज करवाई है। पुलिस ने आरोपी महेन्द्र रमण पुत्र गंगाराम निवासी नेहरू कॉलोनी को गिरफ्तार कर गुरूवार को न्यायालय में पेश किया जहां से उसे न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया।
थानाघिकारी भंवरलाल देवासी ने बताया कि समदडी रोड निवासी अशोकसिंह बैंक से मकान निर्माण के लिए ऋण लेना चाहता था। इसके लिए उसने निर्माण सम्बंधी एनओसी नगरपालिका से प्राप्त करने के लिए इन्जीनियर महेन्द्र रमण से सम्पर्क किया। उसने तीन हजार तीन सौ रूपए लेकर एनओसी दी, जो नगरपालिका से जारी होना बताई। अशोकसिंह द्वारा इस बिनाय पर निर्माण कार्य शुरू करवाया गया। मामले में मोड उस समय आया जब पडौसी ने एतराज उठाया।
उसकी शिकायत पर नगरपालिका के कर्मचारियों ने मौके पर पहुुंचकर जानकारी ली। एनओसी पर लगे क्रमांक नम्बर की जांच व नगरपालिका रिकार्ड से मिलान करने पर यह फर्जी पाई गई। जबकि इस पर लगी नगरपालिका की सील भी असली होना बताया जा रहा है। उक्त मामले में पुलिस ने रमण को गिरफ्तार कर पूछताछ के बाद न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेजा गया।
बैठक में भी हुआ था हंगामा
नगरपालिका की गत बैठक में फर्जी एनओसी जारी करने के मामले को लेकर पार्षदों ने काफी हंगामा किया था। पार्षदों ने इस प्रकरण को गम्भीर बताते हुए तत्काल जांच व दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग भी उठाई थी।
प्रकरण की गहनता से पडताल की जा रही है। आरोपी से पूछताछ की गई है। एनओसी पर नगरपालिका की सील के मामले में कर्मचारियों की भूमिका की जांच भी की जा रही है।
-मनीष देव, अनुसंधान अघिकारी, बालोतरा
विवाहिता को दहेज के लिए प्रताडित किया


समदडी। दहेज के लिए एक विवाहिता को प्रताडित करने एवं घर बदर करने का मामला समदडी पुलिस थाने में दर्ज हुआ है। पुलिस ने बताया कि प्रियंका पत्नी इन्द्रमल निवासी समदडी ने पेश रिपोर्ट में बताया कि गत वष्ाü 27 फरवरी को उसकी शादी सामाजिक रीति रिवाज के अनुसार हुई। उस समय उसके पिता ने अपनी हैसियत के अनुसार दहेज देकर विदा किया ।
कुछ दिनों बाद पति सहित नणद, सासु, ससुर, जेठ, जेठानी उसे दहेज कम लाने एवं पीहर से और लाने की मांग करते हुए ताने देने लगे। बार-बार उसके साथ में गाली गलौच करते हुए मानसिक यातनाएं भी दी गई। सिवाना ससुराल रहने के बाद वह कुछ समय तक सूरत रही जहां उसका पति व्यवसाय करता है। वहां पर भी उसके साथ में ऎसा ही व्यवहार किया गया। गत चार अप्रेल को ससुराल वाले उसे समदडी स्थित पीहर में छोडकर चले गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच प्रारम्भ की।
मोटरसाइकिल चुराने के आरोपी गिरफ्तार




बाडमेर। शहर कोतवाली पुलिस ने मोटरसाइकिल चोरी के आरोप में तीन जनों को गिरफ्तार किया है। इनकी गिरफ्तारी से चोरियों की कई वारदातों का राज खुलने की संभावना है। पुलिस ने बताया कि पिछले एक माह से बाडमेर शहर सहित जिले भर में मोटरसाइकिल चोरी की वारदातें निरंतर हो रही थी। इस पर पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने शहर कोतवाल बुधाराम विश्नोई के नेतृत्व में एक विशेष टीम का गठन किया।
इस टीम ने मुखबिर की इतला पर श्याम व हरीश निवासी नगर, सकूखां निवासी गुडामालानी को गिरफ्तार किया। प्रारंभिक पूछताछ में तीनों आरोपियों ने बाडमेर शहर, समदडी, बालोतरा, गुडामालानी में चोरी की वारदातों को अंजाम देना स्वीकार किया है। इन्होंने बताया कि वे मोटरसाइकिलों की चोरी के बाद प्रत्येक मोटरसाइकिल को पांच से दस हजार रूपए में बेच देते। शहर कोतवाल ने बताया कि इनके अन्य साथियों व चोरी की मोटरसाइकिलों की खरीद करने वालों की तलाश की जा रही है।
एक दर्जन मोटरसाइकिलें बरामद
पुलिस ने इन चोरों के कब्जे से अथवा इनकी निशानदेही पर करीब एक दर्जन मोटरसाइकिलें बरामद कर ली है। हालांकि अघिकृत तौर पर पुलिस अभी तक बरामदगी नहीं बता रही है।
सफेद आंधी’ का साया
ckMesj पाकिस्तान के सिंध इलाके से आई सफेद आंधी ने ‘’kfuवार रात पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी क्षेत्र को अपने आगोश में ले लिया। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार सिंध में तीस से चालीस किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से आई आंधी से रेत के बारीक कणों ने पश्चिमी हवाओं के साथ मारवाड़ की ओर रुख करते हुए धीरे-धीरे पूरे संभाग को मानो सफेद चादर से ढक दिया। रेत के ये सफेद कण jfoवार दोपहर बाद जाकर नीचे उतरने लगे और आकाश कुछ साफ दिखाई देने लगा।

काजरी के हैड ऑफ डिवीजन डॉ. अमलकर ने बताया कि शहर के अलावा संभाग में छाई आंधी में इस बार रेगिस्तान की पीली मिट्टी नहीं, बल्कि सिंध से आई सफेद मिट्टी की आंधी है। सिंध नदी और वहां के इलाकों में सफेद रेत के बारीक कण पश्चिमी हवाओं के साथ यहां आए। सफेद रेत के कण इतने बारीक होते हैं कि हल्की हवाओं के झौंके के साथ आगे बढ़ते रहते हैं। हवा पूरी तरह थमने के बाद ये कण वहीं ठहर गए और फिर नीचे जमीन पर इसकी परत सी छा गई। गए। हवा का रुख तेज होता तो यह पश्चिमी क्षेत्र से भी आगे निकल जाते। इस आंधी से मानसून पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

केरल तक पहुंचा मानसून : गत वर्ष अकाल के बाद अब तक की गति को देखते हुए इस बार अच्छी बारिश होने की संभावना है। काजरी के वैज्ञानिकों के अनुसार मानूसन केरल पहुंच चुका है। वहां बारिश हो रही है। पश्चिमी राजस्थान में पूर्व की ओर से आने-वाले मानसून की स्थिति फिलहाल अच्छी बनी हुई है, विपरीत तेज हवाएं नहीं चली तो जल्द ही मानसून पश्चिमी राजस्थान में प्रवेश कर जाएगा।


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MAA KI MAMATA-happy MOTHERS DAY

शुक्रवार, 7 मई 2010

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