शनिवार, 29 मई 2010

बारमेर न्यूज़ track




पर्यटन स्थल के रुप में विकसित होगा गोड़ावण आश्रय स्थली सुदासरी
बाड़मेर: पाकिस्‍तान की सीमा से लगे राजस्‍थान के बाड़मेर और जैसलमेर जिले में स्थित राष्‍ट्रीय मरु उद्यान में राज्य पक्षी ‘दी ग्रेट इण्डियन बर्स्टड गोडावण’ की आश्रय स्थली सुदासरी गांव को वन विभाग और पर्यटन विभाग पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करेंगे। इसके लिए दोनों विभागों का साझा प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया गया हैं, जिसके इसी साल मंजुर होने की सम्भावना है। राज्य पक्षी गोडावण के संरक्षण के साथ साथ सुदासरी में हस्त कला को भी बढ़ावा दिया जाएगा।क्षेत्रीय वन अधिकारी (वन्य जीव) मोहन लाल खत्री ने बताया कि राष्‍ट्रीय मरु उद्यान का सुदासरी गांव गोडावण की प्रमुख आश्रय स्थली है, वहीं बरना गांव में भी गोडावणों की उपस्थिति दर्ज की जाती रही है। विभाग ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर गोडावण के संरक्षण के साथ-साथ इन गांवों को पर्यटन से जोड़ने के उदेश्‍य से बीस करोड़ रुपए की योजना का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया गया है, जिसके शीघ्र मंजुर होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि सुदासरी और बरना गांवों में गत साल 24 गोडावणों की उपस्थिति दर्ज की गई थी। इस साल सुदासरी में 32 गोडावण देखे गए हैं।खत्री ने बताया कि अगले दो-चार दिनों में राष्‍ट्रीय मरु उद्यान में वन्य जीवों की गणना आरम्भ हो रही है। गणना के बाद गोडावणों की वास्तविक संख्या सामने आएगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत सुदासरी में दो सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया जाएगा, जिसमें स्थानीय लोगों को रोजगार उपल्बध कराते हुए हस्तकला केन्द्र खोला जाएगा और हस्तकला की वस्‍तुएं तैयार कराई जाएंगी। इसमें कांच कशीदाकारी, आरी तारी, हस्तशिल्‍प से निर्मित जूतियां, आदि तैयार करवा कर बिक्री के लिए रखी जाएंगी। खत्री के अनुसार, बरना में पर्यटन विभाग के साथ मिलकर रिसॉर्ट खोलने की योजना भी इस प्रस्ताव में शामिल है। थार मरुस्‍थल के बाड़मेर-जैसलमेर जिलों के 3162 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले राष्‍ट्रीय मरु उद्यान में लुप्त हो रहे गोडावणों के सरक्षंण के लिए वन विभाग ने गम्भीरता से कवायद शुरु कर दी है। विश्‍व भर में गोडावण की एकमात्र आश्रय स्थली सुदासरी-बरना में तेल दोहन के साथ साथ मानवीय गतिविधियों के बढ़ने से गोडावणों की संख्या में निरन्तर कमी दर्ज की जाती रही है। विभागीय सुत्रों के अनुसार, गत 15 सालों में मरु उद्यान क्षेत्र में 2005 में सर्वाधिक 110 गोडावणों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, वहीं सबसे कम 1995 में 39 गोडावण थे। अब अकेले सुदासरी गांव में 32 गोडावण हैं। क्षेत्र में मानवीय गतिविधियां बढ जाने से गोडावणों के भोजन का प्रमुख आधार लगभग समाप्त हो जाना उनकी की घटती संख्या का प्रमुख कारण रहा है। विभाग द्वारा गोडावण के आश्रय स्थली के आसपास के 9 गांवों के 389 परिवारों को अन्यत्र बसाने की योजना को अंतिम रुप दिया गया है। मरु उद्यान के आसपास के सम, सुदासरी, फुलियां, म्याजलार, खुहड़ी व सत्तों आदि क्षेत्रों में चार दशक पूर्व तक गोडावणों की संख्या हजारों में थी, जो सिमट कर दो अंकों में रह गई है। गोडावणों की घटती संख्या के चलते विभाग हरकत में आया है।

'मरीचिका' मौत का सबब बन रही है। प्यास
बाडमेर। पचास डिग्री के आसपास तापमान में सिक रहे रेगिस्तान के ज्यादातर तालाब और नाडियां सूख चुके हैं। है। ऎसे में वन्यजीवों की जान पर बन आई है। रेतीले इलाके में बहुतायत में पाए जाने वाले मृगों के लिए 'मरीचिका' मौत का सबब बन रही है। प्यास के मारे वे तडप-तडप कर दम तोड रहे हैं। थार में राज्य पशु चिंकारा आजादी से कुचालें भरता है। बाडमेर ही नहीं, जैसलमेर व जोधपुर जिले के भी कई इलाकों में हरिण का शिकार सामाजिक तौर पर वर्जित होने से इनकी खासी संख्या है। लेकिन इस बार की भीषण गर्मी इनके लिए अभिशाप बन गई। जिले के चवा गांव में ही एक पखवाडे में सौ से ज्यादा हरिण मर गए। अभाणियों का सर क्षेत्र के आसपास तीस से ज्यादा हरिण मरे पडे हैं। डाबली सरा, केरली नाडी सहित अन्य जगहों में ऎसे ही हालात हैं। भुरटिया, शिव, धोरीमन्ना सहित अन्य क्षेत्रों में भी हरिण मरे हैं।चिंकार राज्य पशु होने के साथ 'शेड्यूल वन' का प्राणी है। ऎसे किसी पशु की मृत्यु होने के बावजूद वन विभाग अभी तक बेखबर है। वन विभाग केवल वन्य क्षेत्र में विचरण करने वाले पशुओं के लिए ही पानी की व्यवस्था कर रहा है। इसके लिए वहां बनी खेलियों और हौदियों में पानी डाला जाता है। अन्य क्षेत्र में कोई व्यवस्था नहीं है। गर्मी का कहर इंसानों के साथ-साथ अब बेजुबानों पर होने लगा है। क्षेत्र में गर्मी से करीब तीन सौ चमगादडों की मौत हो गई। कई चमगादडों के शव जमीन पर पडे थे तो कई पेडों पर मृत लटके हुए पाए गए। चिकित्सकों ने पोस्टमार्टम के आधार पर चमगादडों की मौत का कारण तापघात माना। उन्होंने किसी तरह की बीमारी से इनके मरने से इनकार किया है। बाग में चमगादडों के मरने का सिलसिला कई दिनों से चल रहा है।हमें इसकी जानकारी नहीं है। ऎसा हुआ है तो जांच करवाई जाएगी। पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। यह गंभीर मामला है।प्रियरंजन, उप वन संरक्षक

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