शनिवार, 10 अप्रैल 2010
Hruon female murder
कन्या भ्रुण हत्या , बाड़मेर ,
बाड़मेर: सीमावर्ती बाड़मेर जिले में कन्या भ्रुण हत्या के नाम स्वयं सेवी संस्था लम्बे समय से चान्दी काट रही है. उक्त संस्था द्धारा कन्या भ्रुण हत्या को रोकने के लिए जागरुकता के नाम करोडो रुपयों का बजट आंवटित करा रखा हैं. जागरुकता के नाम पर उच्च स्तरीय होटलों में सेमिनार के नाम पर जम कर पार्टीयां आयोजित कर सरकारी पैसे को चूना लगा रही हैं.
सुत्रों के अनुसार पिछले लम्बे समय से एक संस्था कन्या भ्रुण हत्या के सम्बन्ध में काम का छलावा कर प्रशासन को गुमराह कर रहे हैं. सुत्रों ने बताया कि संस्था द्धारा कन्या भ्रुण प्रभावित क्षेत्र में जाकर कार्य करने की बजाए शहरी क्षेत्र में कार्यक्रमों के नाम पर खानापूर्ति कर सरकारी पैसों का जमकर दुरुपयोग कर रहे हैं. कन्या भ्रुण हत्या के लिए कुख्यात जैसलमेर जिले के गांवों को पृष्ठभूमि बताकर उक्त संस्था द्धारा सरकार से करोड़ों रुपयो का बजट आंवटित करा दिया. संस्था प्रभावित क्षेत्र में जाकर जागरुकता के प्रयास करने की बजाए शहरी क्षेत्र में ही गाहे बगाहे छोटा बडा कार्यक्रम कर जनता को गुमराह कर रही हैं. सुत्रों ने बताया कि संस्था का मूल उद्वेश्य कन्या भ्रुण हत्या के प्रमुख केन्द्र व नीजि अस्पतालों में दबाव बनाकर उगाही करना हैं.
सदियों से कन्या वध के लिए कुख्यात रहे उन जिलों मे गत एक दशक से कन्याओं के जन्म पर थालियां बजनी शुरू हुई हैं. घृणित कन्या वध की परम्परा को त्याग लोग शिक्षा के प्रति जागरूक होने के साथ कन्या को जन्म देने के आदि हो रहा हैं.
बाड़मेर में अब कन्यांए प्रत्येक क्षैत्र में अग्रणी हो रही हैं. अकाल की मार के बावजूद कन्याओं का भविष्य इस क्षेत्र में उज्जवल देख - माता पिता उन्हें उच्च शिक्षा दिलाने के साथ सरकारी नौकरियों की राह पस्त कर रहे हैं. ऐसे में पिछले: छ माह में बाड़मेर जिला मुख्यालय एवं बालोतरा उपखण्ड मुख्यालयों पर नवजात कन्याओं के शव मिलने का सिलसिला बढ़ रहा हैं.
यह उन्हीं क्षेत्रों से मिल रहे हैं जहां निजी चिकित्सालयों का जाल बिछा हैं. बाड़मेर व बालोतरा जैसे अपेक्षाकृत छोटे शहरों में ये निजी अस्पताल कन्या भ्रुण हत्याओं के दम पर ही चल रहे हैं. अन्यथा कोई कारण नहीं की जिला मुख्यालय पर समस्त सुविधायुक्त राजकीय चिकित्सालय को छोड़कर सभी इन निजी चिकित्सालयों की ओर आकृर्षित हो रहे हैं.
उक्त निजी चिकित्सालयों में अवैध गर्भ गिराने का कारोबार धड़ल्ले से होता हैं. वही कन्या के जन्म पर उसकी हत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई हैं. जिसे पुलिस रिकार्ड से तस्दीक किया जा सकता हैं. पिछले दो सालों में जिला मुख्यालय पर दो दर्जन से अधिक कन्या भ्रुण व नवजात कन्याओं के शव लावारिस हालात में सार्वजनिक स्थानों से पुलिस बरामद कर चुकी हैं.
लगातार नवजात कन्याओं तथा कन्या भ्रुण मिलने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग निरूतर होकर बैठा हैं. बाड़मेर में कन्या भ्रुण हत्या का प्रतीक बने नीजि अस्पतालों में गुजरात के स्त्री रोग विशेज्ञ अपनी सेवाएं देकर अवैध गर्भपात से लेकर कन्या भ्रुण की हत्या तक कर मोटी रकम ग्रामीणों से ऐंठ रहे है.
लगभग - एक दो माह तक जेल में भी रहा. मगर अपनी उंची पहूंच का इस्तेमाल कर अपना रजिस्ट्रेशन रद्द होने से बचा लिया तथा उसी अस्पताल में फिर से अपनी सेवाएं देना आरम्भ कर दिया.
ऐसे कृत्य प्रतिदिन होने के बावजुद इस संस्था ने कभी कन्या भ्रुण हत्या के प्रतीक इन अस्पतालों के खिलाफ एक शब्द नहीं बोला. पी एन डी टी की जिला स्तरीय बैठको में कभी मुदा नही उठाया. सरकारी स्कूलों का दुरुपयोग कर कार्यक्रमों की खानापूर्ति कर जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड करने से नही चूकते.
इन निजी अस्पतालों पर कड़ी नजर रखने के साथ उनकी समय पर मौका मुआयना करने की बजाए, इन अस्पतालों में अल्ट्रासाउण्ड, एक्सरे, सोनोगाफी की मशीनों का धड़ल्ले से उपयोग में सहयोग किया जा रहा हे. आखिर संस्था निजी अस्पतालो के इस अमानवीय कृत्य पर चुप क्यों हैं. जिन क्षैत्रों में जागरुकता की आवश्यक्ता हैं, उन क्षैत्रो में यह संस्था आज तक नहीं गई.
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